2 अप्रैल 2025
How to follow religion in Kaliyuga?
1 अप्रैल 2025
Navratri Puja Vidhi at Home – Kalash Sthapana and Mantra
घर में नवरात्रि पूजा विधि – कलश स्थापना और मंत्र
Navratri Puja Vidhi at Home – Kalash Sthapana and Mantra
नवरात्रि में पूजा का आयोजन बहुत महत्व रखता है। घर में नवरात्रि पूजा विधि में सबसे पहले कलश स्थापना की जाती है, जो घर में सुख-शांति और समृद्धि का प्रतीक होता है। यहां कुछ प्रमुख विधियाँ दी जा रही हैं:-
1. कलश स्थापना की विधि:-
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स्थान चुनें: सबसे पहले पूजा के लिए एक स्वच्छ और पवित्र स्थान चुनें। यह स्थान घर के किसी एक कोने में होना चाहिए, जहाँ घर के सदस्य एकत्रित हो सकें।
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साफ-सफाई: पूजा स्थान को अच्छी तरह से साफ कर लें। इसे गंगाजल या पवित्र जल से धोकर शुद्ध करें।
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कलश सजाना: एक ताम्र, मिट्टी, या कांस्य का कलश लें। उसमें जल भरकर ऊपर आम के पत्ते रखें और फिर एक नारियल रखें। नारियल के ऊपर लाल कपड़ा बांधें।
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धनिया या जौ का पौधा: कलश के पास एक बर्तन में धनिया या जौ के बीजों का पौधा लगाएं। यह समृद्धि और शुभता का प्रतीक होता है।
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स्थापना मंत्र: कलश को पूजा स्थल पर स्थापित करते समय निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें:
"ॐ श्री गणेशाय नमः।"
"ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम्।"
"ॐ ह्लीं श्रीं ह्लीं स्वाहा।"
2. मंत्र पढ़ने की विधि:-
नवरात्रि पूजा में प्रत्येक दिन माता दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा होती है। कलश स्थापना के बाद कुछ प्रमुख मंत्रों का उच्चारण करें:-
- माँ दुर्गा का शान्ति मंत्र:
"ॐ दुं दुर्गायै नमः।"
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नवरात्रि के पहले दिन:
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माँ शैलपुत्री के पूजन के लिए:-
"ॐ शैलपुत्र्यै नमः।"
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माँ ब्रह्मचारिणी के पूजन के लिए:
"ॐ ब्रह्मचारिण्यै नमः।"
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माँ चंद्रघंटा के पूजन के लिए:
"ॐ चंद्रघंटायै नमः।"
3. पूजा की अन्य विधियाँ:-
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नित्य पूजन: हर दिन सुबह और शाम को देवी दुर्गा की पूजा करें। देवी के नाम का जाप और मंत्रों का उच्चारण करें।
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व्रत रखना: नवरात्रि के नौ दिनों तक उपवासी रहें और शाकाहारी आहार लें।
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नौ देवी पूजन: प्रत्येक दिन अलग-अलग देवी के रूप का पूजन करें और नौ दिनों तक देवी के मंत्रों का जाप करें।
4. कृपया ध्यान रखें:-
- पूजा स्थान को स्वच्छ और शुद्ध रखें।
- किसी भी प्रकार के विवाद या नकारात्मकता से बचें।
- देवी की पूजा पूरी श्रद्धा और भावनाओं से करें।
इस प्रकार, घर में नवरात्रि पूजा विधि के अनुसार कलश स्थापना और मंत्रों का जाप करके आप नवरात्रि के पर्व को शांति और समृद्धि से मन सकते हैं।
Navratri fast and its scientificity: Scientific and spiritual reason behind fasting
नवरात्रि व्रत और उसकी वैज्ञानिकता: उपवास के पीछे का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारण
Navratri fast and its scientificity: Scientific and spiritual reason behind fasting
नवरात्रि केवल धार्मिक अनुष्ठान का समय नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और स्वास्थ्य के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर है। नवरात्रि व्रत रखने की परंपरा के पीछे गहरी आध्यात्मिक और वैज्ञानिक सोच छिपी हुई है। यह न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि स्वास्थ्य और मानसिक शांति प्राप्त करने का भी एक माध्यम है।
नवरात्रि व्रत का आध्यात्मिक महत्व
1. शारीरिक और मानसिक शुद्धि – उपवास से शरीर के विषैले तत्व बाहर निकलते हैं और मन शांत रहता है।
2. आत्मसंयम की वृद्धि – इच्छाओं पर नियंत्रण रखने से आत्मबल और एकाग्रता बढ़ती है।
3. आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार – व्रत के दौरान ध्यान और मंत्र जाप करने से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
4. ईश्वर के प्रति समर्पण – उपवास से अहंकार का नाश होता है और भक्त का मन माँ दुर्गा के चरणों में समर्पित होता है।
नवरात्रि उपवास का वैज्ञानिक आधार
आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान के अनुसार, नवरात्रि का समय मौसम परिवर्तन का होता है। यह उपवास पाचन तंत्र को सुधारने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है।
नवरात्रि व्रत के दौरान क्या करें?
- सात्विक भोजन का सेवन करें, जैसे फल, कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा और दूध।
- पानी और नारियल पानी का अधिक सेवन करें, जिससे शरीर हाइड्रेटेड रहे।
- ध्यान, योग और प्राणायाम का अभ्यास करें, जिससे मानसिक शांति बनी रहे।
- सकारात्मक सोच बनाए रखें और माँ दुर्गा की आराधना करें।